हिमाचल प्रदेश मे चीड़ के पेड़ों से बिरोजा निकालने के लिए अब पेड़ो का सीना छलनी नही किया जाएगा नौणी विवि के फॉरेस्ट प्रोडक्ट विभाग ने बिरोजा निकालने के लिए नई तकनीक विकसित की है जिसमे एक बहुत छोटे आकार का छेद कर पेड़ों से बिरोजा निकाला जा सकेगा। चीड के पेड़ मे छोटा छेद कर बिरोजा निकालने की इस तकनीक को विवि ने बोर होल नाम दिया है वैज्ञानिकों के मुताबिक इस विधि से जहां बिरोजा उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी वहीं इस तकनीक के इस्तेमाल से पेड़ो को भी अधिक नुक्सान नही होगा। वहीं वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने नौणी विवि पहुंच कर वैज्ञानिकों द़वारा इजाद की इस बोर होल तकनीक का बारीकी से जायजा लिया और तकनीक की भरपूर सराहना की। उन्होने कहा कि जल्द ही वन विभाग द्वारा इस तकनीक का विशेलेषण कर जल्द ही इस तकनीक को बिरोजा निकालने के लिए अपनाया जाएगा।
वहीं वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश फोरेस्ट कॉरपोरेशन जो रेजिन और रोजिन निकालने का कार्य करती है उसके संबंध मे नौणी विवि के वन उत्पादन विभाग ने जो बिरोजा निकालने की बोर होल तकनीक विकसित की है उसे आज हमने जंगल मे जाकर व्यवहारिक तौर पर देखा और पाया कि जो पहले पुरानी विधि से बिरोजा निकाला जाता था उसके तहत पेड़ो को काफी नुक्सान होता था और इस तकनीक से जहां बिरोजा अधिक मिलेगा वहीं इससे पेड़ो को भी नुक्सान नही होगा उन्होने कहा कि आने वाले समय मे निश्चित तौर पर वन विभाग नौणी विवि द्वारा इजाद की गई बोर होल तकनीक अपनाएगा। जिससे वृक्ष भी हमारे टीके रहेंगे और ज्यादा से ज्यादा अच्छी तरह से बिरोजा दहन कर सकें।