सोलन के दिल कहे जाने वाले मॉल रोड़ पर स्थित पार्क जिसका नाम चिल्ड्रन पार्क है | लेकिन विडम्बना यह है कि चिल्ड्रन पार्क कहे जाने वाले इस पार्क में चिल्ड्रन यानी बच्चे आना पसंद भी नहीं करते | जिसका सबसे बड़ा कारण है यहाँ के टूटे झूले अव्यवस्थित पार्क यही कारण है कि जो पार्क सोलन की शान था जहाँ पहले बाहरी राज्यों से आए लोग उसकी सुन्दरता को निहारा करते थे जो पार्क बच्चों से पहले भरा रहता था बच्चे जहाँ अटखेलियाँ करते नज़र आते थे | आज उस पार्क की और लोग मुख भी नहीं करते | यह पार्क अब नशेड़ियों का अड्डा , प्रेमी युगलों का मिलने का स्थान या वृद्धों के धूप सेंकने का स्थान बन गया है | गौर तलब है कि चिल्ड्रन पार्क में एक हाथी झूला बनाया गया था जो पिछले तीन वर्षों से टूटा पड़ा है | जिसकी मुर्र्म्त आज तक करवाना नगर परिषद ने उचित नहीं समझा वहीँ पार्क में दो घोड़े और एक शेर को स्थापित किया गया था जहाँ बच्चे आ कर इनकी सवारी किया करते थे | अपनी तस्वीरें उतारा करते थे | लेकिन रख रखाव की कमी के चलते यह भी जगह जगह से टूटे पड़े है | इनका रंग उड़ चुका है इस लिए यह आकर्षण भी बच्चों को खींच नहीं पा रहा है |
जिस सोच के साथ चिल्ड्रन पार्क को बनाया गया था कि शहर के बच्चे यहाँ आ कर अपना समय व्यतीत करेंगे | झूला झूलेंगे अपने घर आए मेहमानों को यहाँ घूमने लाएंगे लेकिन नगर परिषद और जिला प्रशासन के उदासहीन रवैये और नकारात्मक सोच के चलते आज यह पार्क अपनी बदहाली पर आंसू रो रहा है और अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है |
वहीँ इस बारे में शहर वासियों सुशील चौधरी ,वीरेंद्र जैसवाल , गोल्डी , महोम्द अंसारी , प्रेम सिंह ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि नगर परिषद के पास लाखों रूपये पार्कों के रख रखाव के लिए आते हैं लेकिन यह पैसा कहाँ खर्च होता है यह आज तक उनकी समझ में नहीं आ रहा है | उन्होंने कहा कि पार्क की झूले टूटे पड़े है | पार्क का विशेष आकर्षण हाथी झूला और स्थापित घोड़े और शेर टूटे फूटे पड़े हैं जिसकी मुर्र्म्त भी नगर परिषद नहीं करवा रहा है जिसकी वजह से बच्चों को यहाँ आकर बेहद हताशा होती है इस लिए बच्चों का इस पार्क से मोह भंग हो गया है और वह यहाँ आना पसंद नहीं करते |