बैजनाथ :ऐतिहासिक मंदिर बैजनाथ में रविवार को देर सायें आरती के बाद खूब अखरोट बरसे। बैकुंठ चौदस के शुभ अवसर पर मंदिर परिसर पर हजारों अखरोटों की बारिश हुई। इस पर्व को लेकर क्षेत्र के लोगों में बड़ा उत्साह देखने को मिलता है और श्रद्धालु आरती से पहले ही इकट्ठे होने शुरू हो जाते हैं। ज्यादा श्रद्धालुओं के आने से मंदिर के बाहर बने पार्क पर श्रद्धालु इस दृश्य को देखते हैं और अखरोट गिरने पर ढूंढने लगते हैं तथा प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण करते हैं।
मंदिर के पुजारी सुरेंद्र अचार्य ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित मां पीतांबरी देवी की पूजा अर्चना के बाद अखरोटों की बारिश का आयोजन किया गया।
देश भर में अपने ही अंदाज में हर वर्ष मनाए जाने वाले इस त्योहार की गरिमा दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। मंदिर न्यास द्वारा इस पर्व के लिए पूरे प्रबन्ध किए गए थे।
पुजारी सुरेंद्र अचार्य का कहना है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शंखासुर नाम के राक्षस ने देवताओं का राजपाट छीन लिया और इंद्र के सिंहासन पर विराजमान होकर राज करने लगा। समस्त देवता गुफा में रहने के लिए मजबूर हो गए। राज करते समय शंखासुर को लगा कि उसे देवताओं का सब कुछ छीन लिया लेकिन देवता अभी उस से शक्तिशाली है। शंखासुर को लगा कि वेदों के बीज मंत्र होने से देवताओं के पास शक्ति है। उसने वेद मंत्र चुराने का निर्णय लिया। यह सब देखकर देवता दुखी हो गए और समस्या का निदान के लिए भगवान ब्रह्मा से फरियाद करने लगे। ब्रह्मा ने देवताओं के साथ जाकर 6 माह से सुप्त सैया में सो रहे भगवान विष्णु को उठाया और देवताओं की सहायता करने को कहा। तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर समुद्र में वेदों के बीज मंत्रों की रक्षा की। शंखासुर राक्षस का वध करके देवताओं को उनका राजपाट वापस दिलवाया। इसी खुशी में मंदिर में अखरोट की बारिश की जाती है। बारिश का यह सिलसिला गत 200 सालों से चला रहा है। पूर्व में मात्र 1 या 2 किलो अखरोट को मंदिर के नीचे से ही लोगों को वितरित किया जाता था। वर्तमान में इस मंदिर परिसर पूरी तरह से लोगों से भर जाता है और मां पीतांबरी देवी की पूजा के बाद यह समारोह आयोजित होता है।